हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह काबी ने शहीदों के जनाज़े में जनता की भारी भीड़ को विलायत के प्रति निष्ठा का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा,ईरानी राष्ट्र ने दुनिया के सामने यह संदेश दिया है कि वह ज़ुल्म को स्वीकार नहीं करेगे और 'हयात मिन्ना अज़-ज़िल्ला' का नारा लगाए।
आयतुल्लाह काबी ने कहा,जिस तरह दुश्मन 7 तीर 1360 (1981 का ईरानी कैलेंडर) में शहीद बहिश्ती और अन्य नेताओं की शहादत के बाद भी राष्ट्र को हरा नहीं सका, आज भी वह अपनी साजिशों में विफल है। शहीदों के जनाज़ों ने संघर्ष की भावना को जीवित रखा है।
उन्होंने चेतावनी दी,कर्बला का सबसे बड़ा ख़तरा आज भी मौजूद है और वह है युद्ध के मैदान को 'व्यक्तिगत रंग' देना, यानी नेतृत्व और उम्मत के बीच दूरी पैदा करना।
उनका कहना था,उम्मत बिना सलीह (योग्य) नेतृत्व के गुमराह हो जाती है, और नेतृत्व बिना जागृत उम्मत के बेअसर। हमारी सफलता का रहस्य उम्मत और रहबर (नेता) के उस गहरे संबंध में है, जो दुश्मन की हर साजिश को नाकाम कर देता है।
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